चीन की भूमिका का समापन जरूरी

रिपोर्ट-डॉ. दिलीप अग्निहोत्री


इस समय विश्व कोरोना संकट में घिरा है। प्रत्येक देश इससे प्रभावित है। अर्थव्यवस्था पर इसका प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है। इस महामारी की समाप्ति के बाद भी संभलने में समय लगेगा। फिलहाल तो विकसित देश भी कोरोना के सामने विवश नजर आ रहे है। चीन आर्थिक महाशक्ति बनने की जुगत में था,उसके प्रति नफरत बढ़ी है। इन सबका प्रभाव विश्व के शक्ति संतुलन पर पड़ना स्वभाविक है।



लखनऊ विश्वविद्यालय के बेबीनार में ऐसे मुद्दों पर विस्तार से विचार विमर्श किया गया। विधि संकाय ने इम्पैक्ट ऑफ कोविड-19 ऑन इंटरनेशनल लॉ विषय पर तीन दिवसीय ऑनलाइन बेबीनार का आयोजन किया था। समापन व्याख्यान डॉ.भानू प्रताप ने दिया। उन्होंने अपने बताया कि कोरोना वायरस महामारी के बाद वैश्विक स्तर पर शक्तियों का संतुलन बदलेगा। जो देश कोरोनावायरस महामारी से लड़ने में अग्रणी भूमिका निभा रहें हैं, और बेहतर कदम उठा रहे हैं, आने वाले समय में विश्व के संगठनों में उनको महत्वपूर्ण भूमिका मिलनी चाहिए।



इसके पहले ड़ीन विधि संकाय प्रो.आरके सिंह ने इस बात पर ज़ोर दिया कि कोरोना वायरस महामारी से लड़ने के लिए सभी देशों के बीच परस्पर सहयोग बहुत ही ज़रूरी है। कोरोना वायरस महामारी के बाद विश्व के संगठनों का पुनर्गठन होना चाहिए। सभी संगठनों में चीन से सभी अहम भूमिकाएं वापस ले लेनी चाहिए। इस वेबिनार को आयोजित कराने में विधि संकाय लविवि के छात्र सक्षम अग्रवाल, सचिन वर्मा, हरि गोविन्द दुबे, शिशिर यादव, शिखर योगदान दिया।