लखनऊ। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने उत्तर प्रदेश में भीषण तूफान बारिश और ओलावृष्टि में लोगों की हुई दुखद मौतों पर गहरा शोक जताते हुए मृतकों के परिवारों के प्रति संवेदना जताई है। तूफान से फसलों को भारी नुकसान हुआ है। इससे पहले भी किसानों को बेमौसम बरसात और ओलावृष्टि से भारी नुकसान हो चुका है। राज्य के किसानों की हालत पहले से ही खराब थी। मौसम के बदलाव ने भी अब उन्हें कहीं का नहीं छोड़ा है। भाजपा सरकार ने किसानों को पिछली बार हुए नुकसान का उचित मुआवजा नहीं दिया। किसान दर-दर की ठोकरें खाने पर मजबूर है। अब इस नई आपदा ने किसानों की कमर पूरी तरह से तोड़ दी है। सरकार को कोई भी खानापूर्ति करने के बजाए सीधे किसानों को तत्काल मदद करनी चाहिए। किसान देश और प्रदेश की रीढ़ है। आज करोना संक्रमण के आपदा काल में किसान ही पूरे समाज की उम्मीद बनकर उभरा है। ऐसे में किसानों को जो नुकसान हो रहा है उसकी हर हालत में भरपाई होनी चाहिए।
उन्होंने कहा,आंधी-तूफान, बारिश और आकाशीय बिजली गिरने से प्रदेश में इधर अब तक दो दर्जन मौतें हो चुकी हैं। बड़ी संख्या में पशु भी मारे गए हैं। किसान तबाह है। किसानों को न खाद और न बीज उपलब्ध है। केन्द्र में भाजपा ने 6 वर्ष पूरे कर लिए हैं। पांच वर्षों में उसने जनता को सिर्फ बहकाया है। किसान की आय दुगनी नहीं हुई, नौजवानों को करोड़ों की संख्या में नौकरियां नहीं मिलीं, नोटबंदी और जीएसटी ने व्यापार और उद्योग धंधे बंद करा दिए। आर्थिक विकासदर लगातार गिरती जा रही है। उत्तर प्रदेश में भाजपा सरकार टीम इलेवन के जरिये जबानी मैच खेलती रही और श्रमिक भूखे-प्यासे अपने मासूम बच्चों के साथ घर जाने के लिए पैदल चलते रहे। महिलाओं का ट्रेन, ठेलिया या सड़क पर प्रसव हो गया। भाजपा सरकार की संवेदनशून्यता की हद है, भाजपा नेतृत्व इस सबसे विचलित होने के बजाय नये रंग-रूप के मूड में आ गई है।
मुख्यमंत्री जी को यह बताना चाहिए कि कितने किसानों को फसल बीमा का कितना भुगतान किया है? कल रात में ही उन्नाव में आठ, कन्नौज में 7, मैनुपरी में 2, कानपुर ग्रामीण में 1, गोण्डा में 1 की मौत अतिवृष्टि और बिजली गिरने से हो गयी। सरकार को यह ब्यौरा भी सार्वजनिक करना चाहिए कि पीड़ित किसान परिवारों की कहाँ और कितनी मदद की है? किसानों, कामगारों की जान की भाजपा सरकार में कोई कीमत नहीं है। उनके प्रति संवेदना भी शून्य है। प्राकृतिक आपदा के शिकार किसानों को 10 लाख रूपये की आर्थिक मदद दी जानी चाहिए।