प्रभु की उपासना में मिलती शांति: बाबा फुलसंदे...

लखनऊ। "एक तू सच्चा तेरा नाम सच्चा" समिति की ओर से छटा मील चौराहा, तिवारीपुर में तीन दिवसीय सत्संग के पहले दिन जनपद बिजनौर से पधारे 'एक तू सच्चा तेरा नाम सच्चा' मंत्र के ऋषि सतपुरुष बाबा फुलसन्दे वालों ने कहा कि- हे पारब्रह्म परमेश्वर! एक दिन मैं तेरी अर्चना में दीप की ज्योति की तरह जलता था और ना जाने कब तक जलता रहा, फिर तूने हे दयावान! हे प्रभु! उजाले और अंधकार को अलग-अलग किया।



दिन और रात, जमीन और आसमान, चांद और सितारे आकाश में जगह-जगह दीपक की तरह से जला रखे हैं। फिर एक दिन ना जाने तुझे क्या विचार आया कि प्रकाश की उस लहर को मिट्टी में मिला कर देवता, गंधर्व, नाग, किन्नर आदि रच डाले। वे शुद्ध हृदय से तेरी आराधना करते रहे। एक दिन जो दीप चौखट पर जलता था, उसे तूने जमीन पर मनुष्य बनाकर भेज दिया और वो धूल में जगत के अंधयाव में, कांटो में, बिंध कर तड़पने लगा, सिर पटकने लगा। फिर एक दिन वो ही सीखने लगा ज्ञान और ढूंढता रहा तेरा रास्ता।



आकाश के तले अकेला दुखी मन से देखता था तेरी तरफ, किंतु तू व्यस्त था अपनी महिमा में, शून्य के महागर्जन में या अनहद में। मृत्यु आई मिट्टी के दीवले से ज्योति अलग होकर आकाश में उड़ गई और मट्टी का दीवला गंगा के किनारे पड़ा रह गया। "चांद सितारों के तले दिल मेरा गाता चले, तेरी ही उपासना में परमेश्वर आत्मा में दीवा सा जले"।