पूर्व भारतीय टेबल टेनिस के लिए का दिन अच्छा नहीं रहा जब देश के दो अनुभवी कोच भवानी मुखर्जी व तपन बोस ने यहां अंतिम सांस ली. कोच मुखर्जी का पेट की बीमारी के कारण यहां जिरकपुर में उनके निवास पर निधन हो गया. वह 68 साल के थे. वहीं बोस को यहां उनके निवास पर दिल का दौरा पड़ा. वह 78 साल के थे.
मुखर्जी के परिवार में उनकी पत्नी व एक बेटा हैं. बोस के परिवार में उनकी पत्नी, एक बेटा व एक बेटी है. टीटीएआई महासचिव एमपी सिंह ने पीटीआई को बताया, ”उन्हें (मुखर्जी) पेट संबंधित बीमारी से जूझ रहे थे व उनका उनके निवास पर निधन हो गया. दोनों प्रसिद्ध कोचों के बीच अच्छा तालमेल था. बोस के 1974 में सेवानिवृत्त होने के बाद मुखर्जी एनआईएस में मुख्य कोच बने. इससे पहले वह उनके सहायक के तौर पर कार्य कर रहे थे.”
वह टेबल टेनिस में द्रोणाचार्य पुरस्कार हासिल करने वाले पहले कोच थे. उन्होंने अजमेर में स्कूल व कालेज की एजुकेशन ग्रहण की थी. कोचिंग में डिप्लोमा लेने के बाद 70 के दशक के मध्य में वह पटियाला में राष्ट्रीय खेल संस्थान (एनआईएस) से जुड़े थे. वह एनआईएस पटियाला में मुख्य कोच थे व 2010 राष्ट्रमंडल खेलों के बाद थोड़े समय के लिए राष्ट्रीय टीम के मुख्य कोच बने थे.
मुखर्जी लंदन ओलंपिक के लिए भी खिलाड़ियों के साथ गये थे व 34 वर्ष तक टेबल टेनिस के लिए कार्य करने के बाद भारतीय खेल प्राधिकरण से सेवानिवृत्त हुए थे. उन्हें 2012 में द्रोणाचार्य पुरस्कार से सम्मानित किया गया था जिससे वह टेबल टेनिस में यह सम्मान पाने वाले पहले कोच बने थे. राष्ट्रीय चैंपियनशिप में यूपी टीम की अगुआई करने वाले बोस सत्तर के दशक में प्रदेश चैम्पियन बने. बतौर जूनियर खिलाड़ी साठ के दशक में वह हिंदुस्तान के सातवीं रैंकिंग के खिलाड़ी थे.
बोस ने अपना डिप्लोमा पटियाला के एनआईएस में पूरा किया व इसके बाद वह एनआईएस में मुख्य कोच बन गये. वह भी राष्ट्रीय कोच रहे व उनके नेतृत्व में कई खिलाड़ियों ने अपनी प्रतिभा दिखायी. सिंह ने कहा, ”यह सारे टेबल टेनिस जगत के लिए दुख भरा दिन है. भवानी दा व तपन दा के निधन के बारे में सुनकर मैं बहुत दुखी हुआ. वे कई खिलाड़ियों के लिए पितातुल्य थे व उनकी बहुत ज्यादा कमी महसूस होगी. मैं उनके परिवारों के लिए हार्दिक संवेदना अर्पित करता हूं.”