T20 सीरीज में वापसी करने का टीम इंडिया के लिए आखिरी मौका

बांग्लादेश ने रविवार हिंदुस्तान को पहले मैच में मात दे तीन मैचों की टी20 सीरीज में 1-0 की बढ़त ले ली है। दोनों टीमों के बीच अब दूसरा मैच गुरुवार को यहां के सौराष्ट्र क्रिकेट संघ स्टेडियम में खेला जाएगा। इस सीरीज में वापसी करने का यह आखिरी मौका है। वहीं, बांग्लादेश (Bangladesh) की नजरें अब सीरीज जीतने पर होंगी। बांग्लादेश ने हिंदुस्तान को अरुण जेटली स्टेडियम में खेले गए में सात विकेट से हराया था। अगर वह दूसरा मैच भी जीतता है तो हिंदुस्तान को पहली बार किसी द्विपक्षीय सीरीज में हराएगा।


इस मैच में अगर जीत हासिल कर लेता है तो 10 तारीख को नागपुर में होने वाला तीसरा मैच रोमांचक हो जाएगा। हिंदुस्तान को वापसी के लिए इस मैच में हर क्षेत्र में संतुलित प्रदर्शन करना होगा। पहले मैच में हिंदुस्तान के बल्लेबाज व गेंदबाज टीम को जीत दिलाने में असमर्थ रहे थे।



विराट कोहली की गैरमौजूदगी में टीम की कैप्टन संभाल रहेपर बल्लेबाजी क्रम की भी जिम्मेदारी है। पहले मैच में रोहित का बल्ला नहीं चला था। उनके सलामी जोड़ीदार शिखर धवन ने 42 गेंद पर 41 रन बनाए थे। टी20 के लिहाज से उनकी पारी बहुत ज्यादा धीमी थी। मजबूत आरंभ के लिए टीम इन दोनों के ही आसरे है। ऐसे में इन दोनों को अपनी ख्याति के अनुरूप प्रदर्शन करना होगा। यदि यह दोनों विफल रहते हैं तो मध्य क्रम में वो ताकत नजर नहीं आती है कि वह मजबूत लक्ष्य को हासिल कर सके या विशाल स्कोर बोर्ड पर टांग सके। निचले क्रम में क्रुणाल पांड्या से तेजतर्रार पारी की उम्मीद की जा सकती है।


लोकेश राहुल लगातार जूझ रहे हैं। ऋषभ पंत के रवैये में भी परिवर्तन नहीं दिखा। श्रेयस अय्यर ने भी पहले मैच में जल्दबाजी दिखाई थी। पदार्पण करने वाले शिवम दुबे भी विफल रहे थे। अनुभव की कमी यहां एक बड़ी समस्या है। इसके बावजूद टीम के बल्लेबाजी लाइनअप में परिवर्तन की गुंजाइश कम दिख रही है।


अगर गेंदबाजी की बात की जाए तो मोहम्मद शमी, जसप्रीत बुमराह जैसे गेंदबाजों की गैरमौजूदगी में लेग स्पिनर युजवेंद्र चहल टीम के सबसे अनुभवी गेंदबाज हैं। पिछले मैच में चहल ने तो अपना कार्य किया था लेकिन बाकी गेंदबाज रोने के सिवाए कुछ नहीं कर पाए। खलील अहमद ने 19वें ओवर में चार चौके पड़वा मैच को हिंदुस्तान की झोली से निकालकर मेहमानों को तोहफा दे दिया था। वॉशिंगटन सुंदर, दीपर चाहर, क्रुणाल पांड्या भी छाप छोड़ने में विफल रहे थे।