प्रेगनेंसी में प्लास्टिक की बोतल से पानी पीना पड़ सकता है भारी, जानें क्यों...

अक्सर हम हर घर में प्लास्टिक की बोतल में पीने का पानी रखा जाता है। यह काफी खतरनाक हो सकता है। खासकर गर्भवती महिला और गर्भस्थ शिशु के लिए। गर्भस्थ शिशु अगर लड़का है तो उसकी प्रजनन क्षमता पर यह पानी विपरीत असर डाल सकता है।



वाराणसी आब्स्टैट्रिक, गायनेकोलॉजी सोसाइटी एवं आईएमएस बीएचयू की ओर से होटल रमाडा में आयोजित तीन दिवसीय कांफ्रेंस के दूसरे दिन शनिवार को यह जानकारी दिल्ली से आये डॉ. केडी नायर ने दी। उन्होंने बताया कि प्लास्टिक की बोतल बाईसेफेनॉल नाम के केमिकल से बनती है, जो मनुष्य के स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होता है। गर्भस्थ शिशु पर इसका गहरा प्रभाव पड़ सकता है। गर्भ में पल रहा बच्चा यदि लड़का है तो उसके शुक्राणु कम होने की आशंका बढ़ जाती है। वहीं लड़की होने पर अंडाणु कम होते हैं, जिससे उनमें बाद में गर्भधारण करने में परेशानी होती है। 


दूसरे दिन तीन सत्र में 65 से ज्यादा स्त्री रोग विशेषज्ञों ने अपने विचार रखे। मनिपाल मेडिकल विश्वविद्यालय से आए डॉ. प्रताप कुमार नारायन ने बताया कि महिलाओं का विवाह 35 वर्ष की उम्र के बाद होता है तो उनके गर्भधारण करने में दिक्कत होती है। इसकी वजह अंडाणु का बनना कम हो जाना है। कार्यक्रम में डॉ. लवीना चौबे, डॉ. सुधा सिंह, डॉ. रितु खन्ना, डॉ. संगीता राय, डॉ. विभा मिश्रा मौजूद रहीं। 


पुरुषों में भी बढ़ी है समस्या-
डॉ. नायर ने बताया कि पहले बच्चा पैदा नहीं होने की समस्या 70 प्रतिशत महिलाओं में और 30 प्रतिशत पुरुषों में होती थी। अब इसमें बदलाव आया है। महिला व पुरुष दोनों में बराबर 50-50 प्रतिशत यह समस्या आ रही है। पुरुषों में शुक्राणुओं की गिरती संख्या इसका मुख्य कारण है और इसके पीछे कई वजह हैं। 


47 हजार महिलाओं की जाती है जान-
गोरखपुर बीआरडी मेडिकल कॉलेज में गायनेकोलॉजी की विभागाध्यक्ष रहीं डॉ. रीना सिंह ने बताया कि बच्चेदानी के मुंह में कैंसर होने से भारत में प्रतिवर्ष 47500 महिलाओं की जान जाती है। बच्चेदानी के मुंह में कैंसर होने का खतरा 25 वर्ष की उम्र से रहता है। 10 से 12 वर्ष में यह भयावह हो जाता है और तब इलाज करना मुश्किल रहता है। इससे बचाव के लिए जरुरी है कि 25 साल की उम्र से जांच करायी जाए। शुरुआती दौर में पता चलने पर इसका इलाज कर दिया जाता है। 


बच्चेदानी में गांठ से बांझपन- 
स्त्री एवं प्रसूति रोग विशेषज्ञ डॉ. चन्द्रावती ने बताया कि बच्चेदानी में गांठ भी बांझपन की एक बड़ी वजह है। कई बार गांठ विटमिन डी की कमी से पनप आती है। 100 में 95 महिलाओं में विटमिन डी की कमी होती है। उन्होंने बताया कि लड़कियों में मोटापे की समस्या भी तेजी से बढ़ी है और इसकी शुरुआत 13 साल की उम्र से ही हो जा रही है। बाद में चलकर यह भी बांझपन का कारण बनता है।