जब गर्भ में मौजूद भ्रूण चार सप्ताह का हो जाता है तो उसकी धड़कन शुरू हो जाती है और उसके बाद वह अपने अंतिम पल तक बस काम ही काम करता रहता है। ऐसे प्यारे दिल का खयाल हम नहीं रखेंगे तो भला और कौन रखेगा। जैसा कि हमारे साथ भी होता है आखिर दिल भी कभी न कभी तो थकान महसूस करता ही है, वह संकेत देता है लेकिन हम कई बार उसे समझ नहीं पाते।
हम उसका सही तरीके से खयाल नहीं रखते और फिर एक दिन उसकी मांसपेशियां कमजोर होने लगती हैं। इस स्थिति को कार्डियोमायोपैथी कहा जाता है। तो आइए जानें हमारे सबसे महत्वपूर्ण और पूरी जिंदगी साथ देने वाले साथी की थकान के परिणाम कार्डियोमायोपैथी के बारे में-
कार्डियोमायोपैथी-
हमारा दिल तीन परतों से बना होता है। बाहरी परत (एपिकार्डियम), अंदरुनी परत (एंडोकार्डियम) और मोटी बीच की मांसपेशियों वाली परत (मायोकार्डियम)। एम्स के डॉ. नबी दरिया वली के मुताबिक दिल संबंधी कोई घटना (कार्डियेक इवेंट) और कुछ दवाएं हमारे दिल की मांसपेशियों में संरचनात्मक या कामकाज के लिहाज से बदलाव ला देती हैं। इससे यह मांसपेशियां कमजोर पड़ जाती हैं। कार्डियोमायोपैथी का शिकार लोगों में यह मांसपेशियां मोटी और ज्यादा सख्त बन जाती हैं। कुछ मामलों में दिल की मांसपेशियों की जगह स्कार टिश्यू द्वारा ले ली जाती है।
डॉ. वली बताते हैं कि कार्डियोमायोपैथी कई बार जिंदगी के दौरान विकसित होती है, जिसे एक्वायर्ड कार्डियोमायोपैथी कहा जाता है तो कई बार यह आनुवांशिक (इनहेरिटेड कार्डियोमायोपैथी) होती है। कार्डियोमायोपैथी के कम से कम चार मुख्य प्रकार हैं। अमेरिकी अकादमी ऑफ फेमिली फिजिशियंस के मुताबिक इनमें से प्रति एक लाख वयस्कों में पांच और प्रति एक लाख बच्चों में से 0.57 लोग डायलेटेड कार्डियोमायोपैथी के शिकार होते हैं। इसमें दिल के बाएं वेंट्रिकल का आकार बड़ा हो जाने के कारण खून की आपूर्ति बाधित हो जाती है। अधिकांश एथलीटों की मौत की वजह बनने वाला हाइपरट्रॉफिक कार्डियोमायोपैथी दुनिया भर में प्रति 500 व्यक्तियों में से एक की मौत की वजह बनता है।
आंकड़े बताते हैं कि वर्ष 2016 में कार्डियोमायोपैथी और मायोकार्डाइटिस (दिल की मांसपेशी में सूजन) भारत में 0.12 प्रतिशत मौत की वजह थे, जबकि 0.11 प्रतिशत मामले बीमारी या विकलांगता (डेली) में बिताए गए वर्षों की वजह रहे। कार्डियोवेस्कुलर यानी दिल से जुड़ी बीमारियां कुल मिलाकर भारत में उसी साल 28.1 प्रतिशत मौत की वजह जबकि 14.1 प्रतिशत डेली की वजह बनीं।
हम जबकि आनुवांशिक तौर पर मिली कार्डियोमायोपैथी पर नियंत्रण नहीं साध सकते, हम एक्वायर्ड कार्डियोमायोपैथी को टालने के लिए कुछ ऐहतियाती कदम उठा सकते हैं। वैसा करने से पहले हमें समझना होगा कि आखिर हमारे दिल की मांसपेशियां क्यों कमजोर होती हैं।
कार्डियोमायोपैथी की वजह-
अनियंत्रित या लंबी अवधि की दिल की बीमारी-
हाई ब्लडप्रेशर वक्त गुजरने के साथ हमारे दिल की मांसपेशियों में संरचनात्मक बदलाव करके उनके कामकाज के तौर-तरीकों को बदल सकता है। हार्ट अटैक भी हमारे दिल की मांसपेशियों को क्षतिग्रस्त करता है। लंबी अवधि तक दिल की तेज धड़कन (टेशिकार्डिया) और हार्ट के वॉल्व का काम नहीं करना हमारे दिल के कामकाज के तरीके को बदलने के संभावित खतरे हैं।
मेटाबोलिक डिसऑर्डर्स-
शरीर में कई बायोकेमिकल प्रक्रियाएं चलती रहती हैं। इन प्रक्रियाओं में बाधा के कारण हमें डायबिटीज, मोटापे और हाइपोथायरोइडिज्म जैसे मेटाबोलिक डिसऑर्डर्स से दो-चार होना पड़ता है। इन पर नियंत्रण नहीं पाया गया तो यह आगे चलकर कार्डियोमायोपैथी की वजह बन सकती हैं।
शराब का व्यसन-
शराब का व्यसन हमारे लिवर को नुकसान पहुंचा सकता है और यह हमारे दिल के लिए भी अच्छी नहीं होती। ज्यादा अल्कोहल के सेवन से हमारे शरीर में ट्राइग्लिसराइड्स (खून में फैट्स) का स्तर बढ़ता है। यह कार्डियोमायोपैथी के अलावा हाई ब्लड प्रेशर, हार्ट फैल्युअर और स्ट्रोक की भी वजह बन सकता है।
कुछ दवाएं-
दुर्भाग्यवश हर दवा के साथ साइड इफेक्ट्स का पुछल्ला होता ही है। उनमें से कुछ, खासतौर पर कैंसर की दवाएं, कार्डियोटॉक्सिक-दिल की मांसपेशियों को नुकसान पहुंचाने वाली-होती हैं। फिर भले ही उनका इस्तेमाल सही तरीके से क्यों न किया गया हो। जब डॉक्टर आपको कोई दवा दे तो उसके साइड इफेक्ट्स जान लेना बेहतर विकल्प है।
कुछ अन्य बीमारियां-
निश्चित तौर पर कुछ बीमारियों का दिल की संरचना, कामकाज पर सीधा असर होता है। उदाहरण के लिए, सार्कोइडोसिस के कारण दिल की मांसपेशियों में छोटी-छोटी गांठें बन जाती हैं। दूसरी ओर एमिलोइडोसिस के कारण हमारे दिल की मांसपेशियों में असामान्य प्रोटीन का जमावड़ा हो जाता है।