9 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या पर फैसला सुनाते हुए कहा था कि, जो विवादित जमीन है उस पर रामलला का हक है और साथ ही अदालत ने मुस्लिम पक्ष को मस्जिद के लिए अलग से 5 एकड़ जमीन देने का फैसला सुनाया था। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले पर मुस्लिम पक्ष के कई लोगों ने सवाल खड़े किए थे और कहा था कि, इस पर रिव्यू पिटीशन दाखिल करना चाहिए।
हालांकि, अयोध्या पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले को लेकर सुन्नी बोर्ड की एक बैठक हुई। बोर्ड की मीटिंग में 7 में से 6 सदस्यों ने रिव्यू पिटीशन नहीं दाखिल करने के हक में बात रखी। एक सदस्य ने विरोध किया। बहुमत का फैसला है कि सुन्नी बोर्ड रिव्यू पिटीशन नहीं दाखिल करेगा। हालांकि, इस बात पर कोई चर्चा नहीं हुई कि मस्जिद के लिए 5 एकड़ की जमीन ली जाएगी या नहीं।
सूत्रों के अनुसार, बैठक शुरू होते ही हंगामा हो गया. बैठक में चेयरमैन के फैसले का विरोध सदस्यों ने किया। फिर भी माना जा रहा है कि अयोध्या फैसले पर रिव्यू पिटीशन न दाखिल करने पर सहमति बन गई है।
पता चला है कि बोर्ड के 7 में से 6 सदस्य सुन्नी वक्फ बोर्ड के चेयरमैन ज़ुफर फारूकी के पक्ष में हैं। बता दें कि लखनऊ के वक़्फ़ बोर्ड के आफिस में ये मीटिंग हो रही थी। इनमें चेयरमैन जुफ़र फारूकी के साथ अब्दुल रज्जाक, अदनान फारुख शाह, खुशनूद मियां, जुनैद सिद्दीकी, मोहम्मद जुनीद और मोहम्मद अबरार अहमद बैठक में मौजूद थे।
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड जहां पुनर्विचार याचिका दाखिल करने पर मन बना चुका है, वहीं सुन्नी वक्फ बोर्ड के चेयरमैन जफर फारूकी कह चुके हैं कि वे इस मामले में पुनर्विचार याचिका नहीं दाखिल करेंगे।