सांड़ पहले चौथी मंजिल पर चढ़ा और फिर कूदा, फिर क्या हुआ...

एक सांड़ इमारत की चौथी मंजिल पर चढ़ गया। यह देख लोगों ने उसकी बौखलाहट और पीड़ा का तमाशा बना दिया। मदद करने की बजाय हर कोई उसका दर्द कैमरे में कैद करने में जुट गया। सैकड़ों फ्लैश लाइट की चमक से घबराए सांड़ ने ऊपर से छलांग लगा दी। इससे उसकी गर्दन-पैर टूट गए और वह मौके पर ही तड़प-तड़पकर मर गया। घटना दक्षिणी दिल्ली की खानपुर विधानसभा में पड़ने वाले राजू पार्क में गुरुवार शाम की है। इस दर्दनाक हादसे के पीछे लोगों की लापरवाही के साथ-साथ पुलिस व दक्षिणी नगर निगम की अनदेखी भी जिम्मेदार रही।



फ्लैश से डरकर छलांग लगा दी :


एक स्थानीय निवासी ने बताया कि शाम करीब 6 बजे लोगों ने देखा कि सांड़ इलाके में बने फ्लैट्स की चौथी मंजिल पर चढ़ गया है। इसके बाद सैकड़ों लोग मौके पर जुट गए। हर कोई छत पर चढ़े सांड की वीडियो बनाने और तस्वीर लेने में जुटा रहा। रात करीब 10 बजे कैमरों की लाइट और लोगों के शोर से बौखलाकर सांड़ ऊपर से बगल वाले घर की छत पर कूद गया। घायल होने पर वह काफी देर तक तड़पता रहा। बाद में दम तोड़ दिया।


पुलिस ने झाड़ पल्ला:


घटना का सबसे शर्मनाक पहलू यह रहा कि सांड़ करीब चार घंटे तक छत पर चढ़ा रहा, लेकिन पुलिस और दक्षिणी नगर निगम ने उसे बचाने के लिए कुछ नहीं किया। दोनों एक-दूसरे पर जिम्मेदारी डालते रहे। स्थानीय निवासी रोहित ने बताया कि 6 बजे ही पुलिस को सूचना दे दी गई थी। कई बार कॉल करने के बाद पीसीआर 40 मिनट बाद आई, लेकिन पुलिसकर्मियों ने कहा कि वे इसमें कुछ नहीं कर सकते। नगर निगम और फायर ब्रिगेड को बुलाइए। उधर, दक्षिणी नगर निगम के कर्मियों ने यह कहकर पल्ला झाड़ लिया कि सांड़ निजी प्रॉपर्टी में गिरा है। हम कुछ नहीं कर सकते।


पैसे जुटाकर बुलाई क्रेन : 


सांड़ का शव करीब 16 घंटे तक छत पर पड़ा रहा, लेकिन किसी ने कोई कार्रवाई नहीं की। दक्षिणी नगर निगम ने कह दिया कि शव को सड़क पर उतार दीजिए, हम उठा लेंगे। स्थानीय लोगों का कहना है कि उन्होंने यहां के निगम पार्षद से भी गुहार लगाई, लेकिन उन्होंने भी बात नहीं सुनी। इसके बाद गोसेवा दल से जुड़े कुछ लोग पहुंचे और उन्होंने स्थानीय लोगों के साथ मिलकर क्रेन का इंताजम किया। स्थानीय लोगों ने पांच हजार रुपये जमा करके क्रेन बुलवाई और शुक्रवार दोपहर करीब 2 बजे शव छत से उतारा गया। गोसेवा दल के लोगों ने उसका अंतिम संस्कार किया।


नहीं पता छत पर कैसे पहुंचा :


अभी तक यह पता नहीं चल पाया है कि आखिरकार सांड़ उस भवन की चौथी मंजिल तक कैसे पहुंच गया। यह भी सवाल बना हुआ है कि अगर वह सीढ़ियों से होकर ऊपर गया तो फ्लैट में रहने वाले किसी भी व्यक्ति ने उसे कैसे नहीं देखा। लोगों का कहना है कि फ्लैट की सीढ़ियां संकरी हैं। सांड़ उन पर चढ़ तो गया होगा, लेकिन वापस घूम नहीं सका होगा। इसलिए वह सीधा ऊपर की ओर चढ़ गया।


तो बच जाती बेजुबान की जान:


- लोग संयम दिखाते और तस्वीरें व वीडियो बनाने की बजाय कुछ खाने का लालच देकर सीढ़ी के रास्ते ही सांड़ को नीचे उतारने का प्रयास करते
- पुलिस और नगर निगम मिलकर प्रयास करते। जहां सांड़ के गिरने की आशंका थी, वहां जाल बिछा देते। साथ ही, उसे छत से उतारने की कोशिश करते
- आवारा पशुओं पर नगर निगम ध्यान नहीं देता है। अगर निगम के दस्ते ने सांड़ को पकड़कर गोशाला में भिजवा दिया होता तो यह हादसा ही नहीं होता
- फ्लैट का मुख्य दरवाजा बंद नहीं था। अगर ऐसा होता तो सांड़ सीढि़यों के रास्ते छत पर चढ़ ही नहीं पाता।