पवित्र नगरी बनाए जाने तक अनशन करेंगे Urjaa Guru अरिहंत ऋषि

 


मध्यप्रदेश/उज्जैन। महाकाल की नगरी नाम से पहचाने जाने वाले उज्जैन को आदर्श पवित्र नगरी बनाए जाने की मांग तेज होती जा रही है। ऊर्जा गुरु अरिहंत ऋषि द्वारा शुरू की गई मुहीम अब देशव्यापी आंदोलन का रूप लेता जा रहा है। मध्यप्रदेश समेत देश के अन्य राज्यों से भी उज्जैन को लेकर सकारात्मक प्रतिक्रिया मिलने लगी है। हालांकि इस विषय पर मध्यप्रदेश शासन का उदासीन रवैया अभी भी जारी है। जिसे देखते हुए ऊर्जा गुरु ने एक बार फिर तीखे शब्दों में सरकार को चेतावनी दी है। बीते बुधवार उज्जैन में प्रवास के दौरान एक प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए अरिहंत ऋषि ने उज्जैन को पवित्र नगरी का दर्जा दिए जाने में टालमटोल का रवैया अपना रही कमलनाथ सरकार के खिलाफ भूख हड़ताल करने का ऐलान किया है।


कमलनाथ सरकार जागने को तैयार नहीं


ऊर्जा गुरु ने साफ़ शब्दों में कहा कि, "यदि कमलनाथ सरकार उज्जैन मुद्दे पर अपनी गंभीरता व्यक्त नहीं करती है तो हम जल्द ही अपने अभियान को एक नया मोड़ देंगे और इसकी शुरुआत भूख हड़ताल के रूप में होगी।" उन्होंने कहा कि, "हमने स्याही व खून, दोनों से ही पत्र लिखकर सीएम कमलनाथ से उज्जैन को पवित्र नगरी का दर्जा दिए जाने का आग्रह किया है। लेकिन शायद हमारा आग्रह उन्हें मंजूर नहीं है और इसीलिए हमने भूख हड़ताल का रास्ता चुना है। आज संत समाज भी उज्जैन के साथ खड़ा है और हस्ताक्षर अभियान के साथ उज्जैनवासियों ने भी इस मुहीम के प्रति अपनी सहमति दी है। इन सब बातों के बाद भी सरकार जागने को तैयार नहीं है तो हम उसे नींद से जगाने की हर मुमकिन कोशिश करने के लिए तैयार हैं।"


उज्जैन को पवित्र बनाये रखने की जिम्मेदारी हमारी


ऊर्जा गुरु ने कहा कि उज्जैन को आधिकारिक रूप से पवित्र नगरी घोषित किए जाने की मांग कई वर्षों से की जा रही है। वहीं पिछले दिनों संत समाज ने मुख्यमंत्री कमलनाथ को अपने खून से लिखे गए पत्र पर हस्ताक्षर कर इस संबंध में अवगत भी कराया था। संत समाज का मानना है कि वह धर्म नगरी जहां के निवास मात्र से ही सभी पुण्यफल प्राप्त हो जाते हो, वह वास्तव में पवित्र स्थान है। भारत में 7 ऐसे शहर है जिन्हें पवित्र उत्तम फल देने वाले माना गया है। उनमे से एक उज्जैन नगरी भी है और इस स्थान को हमेशा पवित्र बनाये रखने की जिम्मेदारी भी हमारी है। ऊर्जा गुरु की मांग है कि उज्जैन में साफ सफाई के साथ-साथ सात्विक भोजन और सात्विक आचरण का बोलबाला हो और मंदिर परिसर के समीप मांस मदिरा पूरी तरह से वर्जित हो। उज्जैन को एक ऐसी धार्मिक नगरी के रूप में पहचान दिलाई जानी चाहिए।