धुंआरहित तंबाकू उत्पादों पर प्रतिबंध लगाना जरूरी, सार्वजनिक स्थलों पर थूकने से फैल रहा कोरोना वायरस

मंगलुरु/कर्नाटक। थूक में वायरस एक से तीन दिनों तक सक्रिय रहता है इसलिए कोरोना संक्रमित व्यक्ति द्वारा सार्वजनिक स्थलों पर थूकने से यह संक्रमण फैल सकता है। कर्नाटक सरकार ने भारत सरकार के आदेश का अनुपालन करते हुए सार्वजनिक स्थलों पर थूकना निषिद्ध कर दिया है।


गृह मंत्रालय ने आपदा प्रबंधन कानून के तहत लॉकडाउन के लिए जारी अपने दिशानिर्देशों में सभी जिला प्रमुखों, नगर निगमों को अल्कोहल, तंबाकू, गुटका की बिक्री और सार्वजनिक स्थलों पर थूकने पर प्रतिबंध लगाने को कहा है। नारायण हेल्थ, बेंगलूरू के कैंसर सर्जन डाक्टर विवेक शेट्टी ने कहा कि कर्नाटक सरकार द्वारा सार्वजनिक स्थलों पर थूकने पर प्रतिबंध लगाने से निश्चित तौर पर कोविड-19 को फैलने से रोकने में बहुत मदद मिलेगी।


उन्होंने कहा कि कोरोना संक्रमित व्यक्ति की लार में वायरस 24 से 72 घंटे तक सक्रिय रहता है जिसकी वजह से संक्रमण फैलने की संभावना रहती है। यह केवल कोरोना के लिए ही नहीं है, बल्कि सार्वजनिक स्थलों पर थूकने से टीबी जैसी अन्य संक्रामक बीमारियां फैल सकती हैं। वास्तव में आम लोगों के स्वास्थ्य हित में पान मसाला और सुपारी सहित सभी तरह के तंबाकू उत्पादों पर प्रतिबंध लगाने का यह सही समय है।



आईसीएमआर ने की न थूकने की अपील


भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) ने लोगों से पान मसाला और सुपारी के साथ ही धुंआरहित तंबाकू उत्पादों के सेवन से दूर रहने और सार्वजनिक जगहों पर नहीं थूकने की अपील की है क्योंकि इन उत्पादों से मुंह में अधिक लार बनती है जिससे लोगों को उसे थूकने की इच्छा होती है। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने हाल ही में जारी अपने परामर्श में कोरोना वायरस महामारी के मौजूदा परिदृश्य में राज्यों से धुंआरहित तंबाकू का इस्तेमाल और सार्वजनिक स्थलों पर इसे थूकने पर रोक लगाने को कहा है।


अलामेलु चैरिटेबल फाउंडेशन (टाटा ट्रस्ट) के श्रीकांत जी. ने कर्नाटक सरकार की सराहना करते हुए कहा कि इस सरकार ने सार्वजनिक स्थलों पर थूकने पर प्रतिबंध लगा दिया है जिससे कोरोना संक्रमण को फैलने से रोकने में निश्चित तौर पर मदद मिलेगी क्योंकि सार्वजनिक स्थलों पर थूकने से कोविड-19 फैलने का खतरा बढ़ जाता है। धूम्रपान करने वाले लोगों को कोरोना वायरस से संक्रमित होने की संभावना अधिक रहती है क्योंकि धूम्रपान से उनका श्वसन तंत्र और फेफड़े प्रभावित होते हैं।


उल्लेखनीय है कि गैट्स-2 के आंकड़ों के मुताबिक, कर्नाटक में 16.3 प्रतिशत लोग धुंआरहित तंबाकू का उपयोग करते हैं जबकि 8.8 प्रतिशत लोग धूम्रपान करते हैं। स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने मुख्यमंत्री से सभी तरह के तंबाकू उत्पादों के उत्पादन, भंडारण और बिक्री पर प्रतिबंध लगाने का अनुरोध किया है ताकि तंबाकू सेवन के चलते बीमारियों और असामयिक मौत रोकी जा सके और संक्रमण पर नियंत्रण किया जा सके। कर्नाटक के अलावा, कई अन्य राज्यों ने भी धुंआरहित तंबाकू के उपयोग और सार्वजनिक स्थलों पर थूकने पर प्रतिबंध लगाया है।