कैट ने ऑनलाइन मंच उपलब्ध कराने वाले कंपनियों के खिलाफ की मांग

व्यापारियों के संगठन कैट ने उत्पादों की बिक्री के लिये ऑनलाइन मंच उपलब्ध कराने वाले कंपनियों के खिलाफ अभियान और तेज करते हुये अब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से इन कंपनियों विशेषकर अमेजन और फ्लिपकार्ट के कारोबार करने के तौर-तरीकों की जांच मामले में तुरंत हस्तक्षेप की मांग की है। कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) की यहां जारी विज्ञप्ति में यह जानकारी दी गई है। कैट ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से अमेज़न एवं फ्लिपकार्ट और अन्य ई-कॉमर्स कंपनियों की अनैतिक व्यावसायिक मॉडल के मुद्दे पर हस्तक्षेप का आग्रह किया है।



प्रधानमंत्री मोदी को बुधवार को भेजे एक पत्र में कैट ने आरोप लगाया है कि ये कंपनियां सरकार की एफडीआई नीति, 2018 के प्रेस नोट नंबर 2 का खुले तौर पर उल्लंघन कर रही हैं। इससे देश के हर तरह के व्यापारियों का व्यापार बुरी तरह प्रभावित हो रहा है और असमान प्रतिस्पर्धा के कारण व्यापारी उनके सामने टिक नहीं पा रहे हैं। विज्ञप्ति के अनुसार कैट के राष्ट्रीय अध्यक्ष बी सी भरतिया एवं राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीन खंडेलवाल ने दोनों कंपनियों के व्यापार मॉडल पर कड़ी आपत्ति जताई है। उन्होंने कहा कि नवीनतम जानकारी के अनुसार, अमेज़ॅन को वर्ष 2018-19 में अपनी विभिन्न इकाइयों में 7000 करोड़ रुपये से अधिक का घाटा हुआ है, जबकि इसके विपरीत उसके राजस्व में 54% की वृद्धि हुई है। दूसरी ओर फ्लिपकार्ट ने वर्ष 2018 -19 में 5,459 करोड़ रुपये का नुकसान दर्ज किया जबकि उसके संयुक्त राजस्व में 44% की वृद्धि हुई। 


कैट ने इसे अनूठा मामला बताया है। उसने कहा है कि जहां एक तरफ हर साल बिक्री में आश्चर्यजनक रूप से वृद्धि हो रही है, वहीं दोनों कंपनियों के मामले में नुकसान भी काफी हो रहा है। भरतिया और खंडेलवाल ने अफसोस जाहिर करते हुये कहा कि यदि देश में किसी भी व्यापारी के साथ ऐसा होता तो कर विभाग तुरंत हरकत में आ जाता है और जांच शुरू कर देता, लेकिन अमेज़न और फ्लिपकार्ट के मामले में कर विभागों ने अब तक कोई संज्ञान ही नहीं लिया।


इससे पता चलता है कि विभाग भेदभाव पूर्ण नीति अपना रहा है। कैट ने प्रधानमंत्री के समक्ष सवाल रखा है कि क्या अमेज़न और फ्लिपकार्ट जैसी ई कॉमर्स कंपनियों को सरकार की नीति का खुला उल्लंघन करने की अनुमति दी जाती रहेगी। क्या सरकार द्वारा उनके व्यवसाय मॉडल की कोई जांच नहीं होगी। क्या उन्हें अपनी मर्ज़ी से ई कॉमर्स व्यापार करने की छूट दी जाती रहेगी। कैट ने इस मुद्दे पर प्रधानमंत्री से मिलने का समय भी मांगा है।