इटावा। विद्या के मंदिर में शिक्षा प्राप्त करने आने वाले बच्चों को स्कूूूल के प्रधानाचार्य सफाई में लगा देते हैं। नन्हे बच्चों से स्कूल परिसर में झाड़ू लगवाया जाता हैं और स्वयं अध्यापक मोबाइल फोन पर व्यस्त रहते हैं।
मामला जनपद इटावा के ग्राम मानिकपुर सैफई स्थित प्राथमिक विद्यालय का है। जिसमें छोटे छोटे बच्चों से प्रधानाचार्य विद्यालय परिसर में झाड़ू लगवाते हैं,विद्यालय की सफाई करवाते हैं।
जब प्रधानाचार्य नन्हें बच्चों से विद्यालय परिसर में सफाई करवाएंगे तो उन्हें शिक्षा कब देगे? यहाँ सवाल यह है कि क्या सिर्फ नन्हे बच्चे सफाई करने विद्यालय आते हैं? और तो और इन मासूम बच्चों के पास न तो स्कूली बैग है और न ही किताबे हैं। आखिर बिना किताबों के बच्चे स्कूल आकर कौन सी शिक्षा ग्रहण करेंगे।
जिन बच्चों के हाथ में कलम कॉपी होनी चाहिए उनके हाथ में अध्यापक झाड़ू थमा रहे हैं। क्या ऐसे ही भारत देश के बच्चों का भविष्य उज्जवल होगा? क्या वजह है कि शासन-प्रशासन सबकुछ जानते हुए भी विद्यालयों में तैनात अध्यापकों पर कोई कार्रवाई नहीं करता है। नौनिहालों के हाथों में झाड़ू थमाकर उनसे सफाई करवाना कहीं से भी न्यायसंगत नहीं हैं।
क्या इसी तरह सरकार के सर्व शिक्षा अभियान "सब पढ़ो सब बढ़ो" को आगे बढ़ाया जायेगा। देखने वाली बात है कि क्या इटावा बेसिक शिक्षा अधिकारी के संज्ञान में मामला आने बाद वो दोषियों के खिलाफ कार्यवाही कर पाएंगे या शिक्षा के मंदिर में बच्चों के भविष्य के साथ हो रहे खिलवाड़ को अपना मौन समर्थन देते रहेंगे।
रिपोर्ट-आकाश धाकरे