लखनऊ। राष्ट्रीय लोकदल के प्रदेश अध्यक्ष डाॅ० मसूद अहमद ने कहा कि केन्द्र सरकार की वित्त मंत्री द्वारा देश की नई परिकल्पना से सम्बन्धित प्रस्तुत किये गये बजट ने अपना असर दिखाना प्रारम्भ कर दिया है। बाजार में आम जरूरत की चीजों जैसे आटा, दाल, सब्जी आदि की मंहगाई लगातार बढती जा रही है क्योंकि बजट में पेट्रोल और डीजल की कीमतों में अचानक वृद्वि की घोषणा सेंस लगाकर की गयी है जबकि लोकसभा चुनाव से पूर्व पेट्रोल और डीजल की कीमतें प्रतिदिन 10-10 या 5-5 पैसे घटाकर आम जनता के वोट लेने का कुचक्र रचा गया था।
डाॅ० अहमद ने कहा कि केवल पेट्रोल और डीजल के भाव से ही आम इंसान पर लगभग सौ रूपये प्रतिदिन का बोझ बढ गया है। मध्यम श्रेणी के व्यक्ति को अपना परिवार चलाना दूभर होने लगा है क्योंकि अचानक आमदनी नहीं बढी है और न ही आमदनी बढने का कोई प्राविधान सरकार द्वारा किया गया है। राष्ट्र के आम जन जीवन से खिलवाड़ करना ही क्या भाजपा का राष्ट्रवाद है? हमारे देष में लगभग 20 प्रतिशत आबादी ऐसी है जो अपने बच्चों को दो जून का भोजन देने में असमर्थ है। जब यह गरीब परिवार लगातार मंहगाई के दबाव में आयेंगे तो देश के प्रधानमंत्री के अनुसार गरीबी जिन्दाबाद कैसे बोलेगें।
रालोद प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि कृषि प्रधान देश के अन्तिम पायदान पर खडे व्यक्ति के विषय में सोचना परम आवश्यक होता है लेकिन ऐसा लगता है कि भाजपा और देश के प्रधानमंत्री चंद पूंजीपतियों के हाथ की कठपुतली बनकर अन्तिम पायदान वाले व्यक्तियों का मजाक उड़ा रहे हैं। यदि भाजपा की सरकार इसी तरह काम करती रही तो वह दिन दूर नहीं जब देश में अमीर और गरीब के बीच में बहुत गहरी खाई खडी हो जायेगी और सामाजिक ढांचा तहस-नहस होने की कगार पर पहुंच जायेगा।