आजाद भारत की पहली महिला गवर्नर सरोजिनी नायडू


भारत की पहली महिला गवर्नर सरोजिनी नायडू का जन्म 13 फरवरी,1879 को हैदराबाद के एक बंगाली ब्राह्मण परिवार में हुआ था। सरोजिनी अघोरनाथ चट्टोपाध्याय की सबसे बड़ी बेटी थीं। इनके पिता निजाम कॉलेज, हैदराबाद के प्रिंसिपल थे।


महज 12 साल की उम्र में मद्रास विश्वविद्यालय में


राष्ट्रीय कांग्रेस की पहली भारतीय महिला प्रेसीडेंट सरोजिनी नायडू ने महज 12 साल की उम्र में मद्रास विश्वविद्यालय में एडमीशन ले लिया था। 1895 से 1898 के बीच किंग्स कॉलेज, लंदन में और बाद में गिर्टन कॉलेज, कैम्ब्रिज में स्टडी किया। सरोजिनी नायडू ने बढ़ते वक्त के साथ खुद को राजनीतिक कार्यकर्ता, नारीवादी, व एक बेहतरीन कवि के रूप में भी पेश किया। उनसे पहले कांग्रेस की महिला अध्यक्ष एनी बेसेंट थीं।


सरोजिनी 1947 में यूपी की पहली महिला गवर्नर


1924 में उन्होंने पूर्वी अफ्रीका और दक्षिण अफ्रीका में भारतीयों के हित में यात्रा की। सरोजिनी नायडू ने 1928 में कांग्रेस मूवमेंट पर व्याख्यान देते हुए उत्तरी अमेरिका का दौरा किया। भारत लाैटने के बाद सरोजिनी नायडू ने भारत ब्रिटिश-विरोधी गतिविधि में 1930, 1932 और 1942 में जेल यात्रा की। इसके बाद सरोजिनी 1947 में उत्तर प्रदेश की पहली महिला गवर्नर बनी थीं।


2 मार्च, 1949 को राज्यपाल पद पर रहते हुए


सरोजिनी नायडू एक अच्छी राजनीतिक कार्यकर्ता,नारीवादी व एक बेहतरीन कवियत्री थी। उनकी पहली कविता द गोल्डन थ्रेशोल्ड (1905) थी। इसके बाद द बर्ड ऑफ टाइम (1912) आयी। द नाइटेंगल ऑफ़ इंडिया के नाम से विख्यात सरोजिनी नायडू ने 2 मार्च, 1949 को राज्यपाल पद पर रहते हुए दुनिया को अलविदा कहा दिया।